जय मां सरस्वती
माता सरस्वती हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं और वे ज्ञान, विद्या, कला, संगीत और शिक्षा की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। इनके पूजन का समय वसंत ऋतु के आरंभ के समय आता है, जिसे बसंत पंचमी कहा जाता है। यह पर्व सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है और यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पंचमी को आता है, जिसे हम सामान्यत: फरवरी-मार्च के बीच देख सकते हैं।
सरस्वती देवी के दर्शन, वस्त्र, और आकृति की प्रतिमा में हाथ में वीणा होती है और वे हंस पर विराजमान होती हैं। वीणा उनकी प्रमुख वाहना भी है। माता सरस्वती की पूजा में सबसे अधिक चंदन की माला, कुमकुम, अक्षत, फूल आदि का प्रयोग होता है।
वेदों में माता सरस्वती को 'वाग्देवी' और 'वेदमाता' के रूप में उपासित किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे वाणी की देवी हैं और वेदों की माता हैं। वे विद्या के स्रोत के रूप में जानी जाती हैं और छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति में संचालित करने वाली हैं।
वैदिक धर्म के साथ ही सरस्वती देवी को पुराणों और इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनकी कई कहानियाँ हैं, जिनमें उनके धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने विशेष युद्ध और लड़ाइयाँ लड़ीं हैं।
सरस्वती पूजा को खासकर छात्रों, कलाकारों और विद्वानों द्वारा बहुत महत्व दिया जाता है। इस दिन छात्र अपनी शिक्षा की मां देवी सरस्वती की आराधना करते हैं और उनसे विद्या, बुद्धि और समझ की वरदान प्राप्त करने की कामना करते हैं।
इस प्रकार, माता सरस्वती हिंदू धर्म की एक उच्च देवी हैं जिनकी पूजा और आराधना के माध्यम से विद्या, ज्ञान और कला की प्राप्ति की आशा की जाती है।